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सर्दियाँ आ रही हैं चलिए आज आपको अपने देश का स्वर्ग में कैसे घूमना है वो बताता हूँ  दिल्ली से ट्रेन द्वारा सिर्फ 630 रुपए में भारत के स्वर्ग कश्मीर के डल तक पहुंचने की जानकारी,और सिर्फ 200 रुपए में लाल चौक में नाइट स्टे की जानकारी, जिससे अकेले यात्रा करने वाले सोलो ट्रैवलर बहुत कम खर्च में कश्मीर की वादियों का दीदार कर पाएंगे, लेकिन आपको इस पोस्ट को पढ़ने के लिए 2 मिनट का समय निकालना होगा, इस पोस्ट में आपको कम खर्च में रुकने की जानकारी भी दूंगा, जहां सोलो ट्रैवलर सिर्फ 200 रूपये में नाइट स्टे कर सकते हैं वो भी श्री नगर के दिल लाल चौक में,जी हाँ आपने सही पढ़ा, अगर कोई मित्र भारत के  स्वर्ग कश्मीर की सोलो यात्रा करना चाहता है तो ये पोस्ट आपके काम की है,लेकिन ये सलाह सिर्फ सोलो मित्रों के लिए है फैमिली वालों के लिए नहीं है, ये यात्रा आप शुरू कीजिये  नई दिल्ली station से यहाँ से आप (12445)उत्तर संपर्क क्रांति एक्स्प्रेस का टिकट कराइए उधमपुर तक का,ये ट्रेन रात्रि मे 8:50 pm मे चलती है  और सुबह 7.30 बजे उधमपुर (MCTM)पहुंच जाती है कृपया ध्यान दें अब उधमपुर  स्टेशन का नाम शहीद कैप्टन तुषार महाज

आप एक सशक्त महिला हैं?

एक दिन, एक कंपनी में साक्षात्कार के दौरान, बॉस, जिसका नाम अनिल था, ने सामने बैठी महिला, सीमा से पूछा, आप इस नौकरी के लिए कितनी तनख्वाह की उम्मीद करती हैं? सीमा ने बिना किसी झिझक के आत्मविश्वास से कहा, "कम से कम 80,000 रुपये। अनिल ने उसकी ओर देखा और आगे पूछा, "आपको किसी खेल में दिलचस्पी है? सीमा ने जवाब दिया, जी, मुझे शतरंज खेलना पसंद है। अनिल ने मुस्कुराते हुए कहा, शतरंज बहुत ही दिलचस्प खेल है। चलिए, इस बारे में बात करते हैं। आपको शतरंज का कौन सा मोहरा सबसे ज्यादा पसंद है? या आप किस मोहरे से सबसे अधिक प्रभावित हैं? सीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, वज़ीर। अनिल ने उत्सुकता से पूछा, "क्यों? जबकि मुझे लगता है कि घोड़े की चाल सबसे अनोखी होती है।" सीमा ने गंभीरता से जवाब दिया, "वास्तव में घोड़े की चाल दिलचस्प होती है, लेकिन वज़ीर में वो सभी गुण होते हैं जो बाकी मोहरों में अलग-अलग रूप से पाए जाते हैं। वह कभी मोहरे की तरह एक कदम बढ़ाकर राजा को बचाता है, तो कभी तिरछा चलकर हैरान करता है, और कभी ढाल बनकर राजा की रक्षा करता है।" अनिल ने उसकी समझ से प्रभावित होते हुए पूछा,

मैंने भी देखा है..!

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विजय सिंह, बलिया (उत्तर प्रदेश)  मैंने भी देखा है,  किसी डूबते हुए को, उबरते हुए! बिखरे हुए को,  संभलते हुए!      कभी मुट्ठी भर रेत को,       हाँथो से फिसलते हुए!       विशाल समुद्र को भी,       मरूस्थल बनते हुए!  रोशनी से अंधेरे को, दबे पैर निकलते हुए! विजय! एकांत को भी,  सम्मेलन बनते हुए!!      मैंने भी देखा है..       नीले आसमान को,       धुएँ में लिपटते हुए!      दिन के कोलाहल को,      सन्नाटे में सिमटते हुए!!  सिरफिरे हवाओं से,  ज्वाला को धधकते हुए! एक चिंगारी को भी,  अंगारों में बदलते हुए!!      साज़िश के चक्रव्यूह से,       अभिमन्यु को लड़ते हुए!      अर्जुन के बाणों से,       जयद्रथ को मरते हुए!!  जो वीरता का परिचायक है,  वो राजतिलक के लायक है!  शंखनाद कर दे सृष्टि में,  वही महा अधिनायक है!!      छोड़ चुका हूँ आशाएं,       खत्म हो गई बाधाएँ!      अद्भुत और असीमित है,      नए दौर की सीमाएँ!!  नियति जो चाहे वो ही होगा, यही है कर्मों का लेखा जोखा! कौन बचा है इस परीक्षा से, सबको डगर से निकलना होगा!!        कुछ तो यादों का विमर्श है,        कुछ विचारों का संघर्ष है!       हर एक मोड़

भूख की तृष्णा भिक्षुओं को खींच लाती है चारबाग़

मोहित लोधी लखनऊ. राजधानी में भिक्षावृत्ति करने वालो की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है. कारण स्पष्ट है जब लोगो के सामने दीनहीन बनकर हाथ फैलाने से भोजन दान और अर्थदान मिलने लगे तो भिक्षा भी एक व्यवसाय बन जाता है.  सारा दिन भिक्षु कहीं भी भिक्षा मांगे पर शाम ढलते ही चारबाग़ क्षेत्र ही उनका ठिकाना होता है.  यहाँ तमाम सामर्थ्य वान दानवीर दान करने के उद्देश्य से चारबाग़ आते जाते रहते है. यही नही यहाँ तमाम ऐसे होटल्स भी है, जो भिक्षुओं को सुबह -शाम का नाश्ता - भोजन दान करते है.  कभी-कभी ऐसी विषम स्थिति उत्पन्न हो जाती है भिक्षु द्वारा लालचवश कई दिनों से एकत्र किया गया भोजन भी दुर्गन्ध मारने लगता है. रोज़ाना भिक्षुओं को दानदाताओ से जो अर्थ प्राप्त होता है. उससे वो नशे का सेवन करते है.  फुटपाथ के सहारे दोनों ओर भिक्षु दान और भोजन की लालसा में कतारबद्ध होकर बैठे रहते है. जिसका प्रमाण कल रात देखने को मिला नत्था तिराहे के निकट पेट्रोल पंप के सामने एक नामी मिठाई शॉप के करीब जब एक व्यक्ति फुटपाथ के सहारे नशे की हालत में बैठा हुआ था.  बगल से निकल रही कार की चपेट में आकर लहुलुहान होकर घायल हो गया. जिसे

फिल्म 'खेल खेल में' का मोशन पोस्टर हुआ रिलीज

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हंसी के पीछे छिपा है क्या राज, जानें! जय सिंह रघुवंशी  हाल में बहुप्रतीक्षित फिल्म खेल खेल में का मोशन पोस्टर रिलीज़ हुआ है, जो एक रोमांचक, रोलरकोस्टर राइड की तरफ इशारा करता है। इसमें, ह्यूमर, दिलचस्प बातचीत के साथ और भी बहुत कुछ देखने मिलेगा। तो कौन से राज वो छिपा रहे हैं? बता दें, इस कॉमेडी-ड्रामा में एक शानदार कास्ट की टुकड़ी है जिसमें अक्षय कुमार, तापसी पन्नू, वाणी कपूर, अम्मी विर्क, आदित्य सील, प्रज्ञा जैसवाल और फरदीन खान शामिल हैं। ये फिल्म हंसी के पलों और दिल को छू लेने वाले सीन्स का एक शानदार मेल है जो दिल से जुड़े हुए है। गुलशन कुमार, टी-सीरीज़ और वकाउ फिल्म्स पेश करते हैं खेल खेल में। टी-सीरीज़ फिल्म, वाकाऊ फिल्म्स और केकेएम फिल्म प्रोडक्शन, खेल खेल में का निर्देशन मुदस्सर अजीज ने किया हैं और भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, विपुल डी शाह, अश्विन वर्दे, राजेश बहल, शशिकांत सिन्हा और अजय राय द्वारा निर्मित है। यह फिल्म 15 अगस्त 2024 को देश भर में रिलीज होगी।

आत्मा का कोई धर्म नहीं होता है- बीके आत्म प्रकाश

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संयुक्त मुख्य प्रशासिका एवं ज्ञान सरोवर की निदेशिका राजयोगिनी बीके स्वदेश ने कहा कि  भारत पुण्य भूमि, स्वर्णिम भारत कहलाता था। हमें अपने कर्मों से फिर से वही भारत लाना है। हम सभी आत्माएं इस शरीर रूपी रथ के राजा है। मल्टीमीडिया के निदेशक बीके करुणा ने कहा कि आपका पेशा जवाबदारी का है इसलिए आपका समाज के प्रति अधिक दायित्व है।  जब आप स्वयं मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहेंगे तो समाज के लिए बेहतर कर पाएंगे। इस दौरान राष्ट्रीय संयोजिका बीके सरला आनंद, पूर्व कुलपति मानसिंह परमार, यूके से आए लेखक नेविले होड़ीगसन, राष्टीय संयोजक बीके सांतानु भाई ने भी अपने विचार व्यक्त किए।  शाम को आयोजित स्वागत सत्र में ब्रह्माकुमारीज़ के मुंबई घाटकोपर सबजोन की निदेशिका डॉ. राजयोगिनी नलिनी ने कहा कि हमारे मीडिया के भाई-बहन सबसे महत्वपूर्ण सेवा करते हैं।  आप सभी विशेष हो, आपकी सेवा विशेष है। ब्रह्माकुमारीज़ का मकसद है आप सभी को परमात्मा, प्रभु के समीप ले जाना।  यही संस्थान का मुख्य उद्देश्य है। आप सभी अपनी लेखनी से ऐसा प्रकाश फैलाएं कि समाज को नई दिशा और प्रेरणा मिले।  हमारी जो वास्तविक पहचान है वह

बिना काम के महिलाओं को मानदेय दे रहे प्रधान

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लखनऊ। विकासखंड माल की कई पंचायत में सामुदायिक शौचालयों का लगभग 2 वर्ष पूर्व निर्माण होने के बाद से आज तक ताला लटक रहा है परंतु ग्राम प्रधान और सचिव द्वारा शौचालय में एक दिन भी काम न करने के बावजूद केयरटेकर का भुगतान किया जा रहा है। क्षेत्र में कई पंचायतें ऐसी हैं जहां के शौचालय बंद पड़े हैं।  कुछ पंचायत में शौचालय अभी तक अधूरे पड़े हैं बावजूद इनके पूर्व में तैनात रहे सचिन अथवा प्रधान ने लाखों की धनराशि निकाल ली लेकिन शौचायलयों का पूरा निर्माण नहीं किया जिससे वह अधूरे पड़े हैं। इसी क्रम में बकरा बाजार गांव के शौचालय में ताला लटक रहा है यहां केयरटेकर का मानदेय लगातार सरकारी खाते से दिया जा रहा है जो सरकारी धन का दुरुपयोग है। ग्राम पंचायत तिलन,सस्पन, उमरावल ए सामुदायिक शौचालय विभिन्न कर्म से बंद पड़े हैं और ग्राम पंचायत गोपालपुर तथा नरायनपुर के शौचालय आज तक अधूरे पड़े हैं फिर भी अधिकारियों ने आज तक दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। दूसरी ओर ग्राम पंचायत गौरैया के सामुदायिक शौचालय में नियमित रूप से कम कर रही महिला को लगभग 3 साल से प्रधान ने आज तक मानदेय नहीं दिया है जबकि वह कई बार