"बेटी हूं कोई मुलजिम तो नहीं, पराई तो हूँ, पर बेटी तो हूँ.
यूनीसेफ व शिक्षा विभाग के सर्व शिक्षा अभियान की प्रेरणा "मीना" के परिकल्पना दिवस पर विशेष
सुजाता मौर्या
नोएडा। मीना के जन्म दिवस के अवसर पर "नन्हे कदम ऊंची उड़ान" समूह द्वारा एक बाल काव्य गोष्ठी, संस्थापिका अभिलाषा विनय द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें जनपद के परिषदीय विद्यालय के बच्चों ने अत्यंत उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री सूर्य प्रकाश राय (जिला समन्वय प्रशिक्षण) ने की।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री विनय विक्रम सिंह जी ने, जिन्होंने मीना की कई एनिमेशन फिल्म्स को निर्देशित किया है, उपस्थित रहे, काव्य गोष्ठी का संचालन एआरपी बिसरख कविता भटनागर ने किया। "मीना नाम की लड़की की है यह कहानी, जिसकी सोच ने लड़कियों की जिन्दगी है बदल डाली," ये सशक्त कविता, रिया कश्यप, u.p.s. सेक्टर-१२ नोएडा, द्वारा प्रस्तुत की गयी। "बेटी हूं कोई मुलजिम तो नहीं, पराई तो हूँ, पर बेटी तो हूँ।" प्रिया चौधरी कक्षा 5 प्रा वि गढ़ी चौखण्डी बिसरख, की मनमोहक प्रस्तुति रही। "जीवन,पार लगा दूंगी, अपना लो, मैं बेटा भी बन जाऊँगी," अंकिता, जूनियर हाई स्कूल नया बाँस, सैक्टर- पन्द्रह, नोएडा, द्वारा सबको मोह लिया।
अम्मा पढ़ै जाय का हमका, बस्ता मोहे दिला दो ना
"बिटिया क्यों लगती है बोझ, सब बदलो अपनी सोच," सी मर्ममयी प्रस्तुति से शालू वर्मा, जूनियर हाई स्कूल नया बाँस, सैक्टर- पन्द्रह, नोएडा, ने उत्तम अभिव्यक्ति दी। "शाम हो गई अभी तो घुमने चलो न पापा, चलते-चलते थक गई कंधे पे बिठा लो न पापा," द्वारा अभिषेक, विद्यालय, जूनियर हाई स्कूल नया बाँस, सैक्टर - पंद्रह, नोएडा, की लाज़वाब प्रस्तुति रही। "जब मां ही जग में नहीं होगी, तो तुम जन्म कहां से पाओगे, जब बहन ना होगी घर के आंगन में तो, तुम किससे रूठोगे और किसे मनाओगे।" द्वारा, गोपाल कक्षा-७, U.P.S. सेक्टर - १२ नोएडा, की अभिव्यक्ति सराहनीय रही। "मीना नाम की लड़की की है यह कहानी, जिसकी सोच ने लड़कियों की जिन्दगी है बदल डाली," द्वारा रिया कश्यप u.p.s. सेक्टर - १२ नोएडा, ने समाँ बाँध दिया। इक छोटा सा आसमान दे दो ना पापा," द्वारा काजल शर्मा की शानदार प्रस्तुति रही।
"परिवार दे साथ तो बेटी चांद को छू आती है..
मन में है विश्वास, तो बेटी बेटों से आगे निकल जाती है...
"परिवार दे साथ तो बेटी चांद को छू आती है, मन में है विश्वास, तो बेटी बेटों से आगे निकल जाती है," से उजमा उ0 प्रा0 वि0 वाजिदपुर, ने माहौल रसमय कर दिया। "करती एकदम बातें सच्ची, हमारी मीना एक बहादुर बच्ची," द्वारा रिदम पराशर, उ0 प्रा0 वि0 वाजिदपुर नोएडा, ने सबको सम्मोहित कर दिया, कुसुम कौशिक (प्रधान अध्यापिका -खोदना खुर्द) "प्रथम पुत्रों के जन्म से जो गर्वित थी, पांव नही धरती थी जमीं पर, आज क्यों विचलित है,संतुलन खोयी सी, दो बेटियों के जन्म पर," इन पंक्तियों से कार्यक्रम को उत्तम बना दिया। "मिल जाती जन्नत उसको, जिसे मिल जाती है बेटी, सब कुछ सहकर भी, दुख जो छिपा ले वो है ."बेटी" इन पंक्तियों से श्वेता कनौजिया (प्रधानाध्यापिका,प्राइमरी) ने बेटी की वर्तमान स्थिति को सुन्दरता से दर्शाया। कंचन वर्मा की कलम से निकले, "पराई हैं, पराई ही रहेंगी, ये बेटियाँ, बचपन से ही इन्हें तो तुम, पराया ना करो," शब्द सभी को मन्त्रमुग्ध कर गए। "मीना हूं, मैं जननी हूं और, सृष्टि प्रसविनी भी हूँ। मैं काली हूंँ,मैं दुर्गा हूँ और, प्रखर तेजस्विनी," द्वारा डॉ ममता विमल अवस्थी ने मन मोह लिया।
"अम्मा स्कूल जाय का हमका, बस्ता मोहे मँगा दो ना। भरि कै ख़ूब किताबै कॉपी, काँधे मोरे टँगा दो ना" इस कृति से वरिष्ठ कवयित्री अभिलाषा विनय ने सभी को अभिभूत कर दिया। "कईसे बेटी के ससुरईतिन बनावल जाई , डोलिया सजावल जाई न।" द्वारा बिधु सिंह ए आर पी हिंदी बिसरख ने सबको मोह लिया।
"कईसे बेटी के ससुरईतिन बनावल जाई , डोलिया सजावल जाई न...
कवयित्री रति गुप्ता ने मंत्रमुग्ध करती प्रस्तुति कर "जीना सबको सिखाये मीना, उसका हमसे यही है कहना। समान शिक्षा का अवसर देना, गर्व से जीना सिखाये मीना।" से सभी को अभिभूत कर दिया। "मैं तेरे. आंगन की मीना, मैं भी घर का एक नगीना.." द्वारा निर्मला त्यागी, लडपुरा ने मोहक प्रस्तुति दी। आयोजन का समापन जिला समन्वयक श्री सूर्य प्रकाश राय ने सभी काव्य साधकों को धन्यवाद व शुभाशीष प्रदान कर किया।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें