अपने अधिकारों से वंचित एक बेटी?
यह मध्यमवर्गीय परिवारों की समस्या का हल?
पुनिता कुशवाहा
आज एक मध्यम वर्गीय परिवार में एक बेटी का जन्म हुआ सब बहुत खुश है। अब बेटी बड़ी होने लगी है परिवार में सदस्य बढ़ा है। अब बेटी बड़ी हो चुकी है उसने अभी तो केवल दसवीं की पढ़ाई ही पूरी की है और यहां मां पिता को उसकी शादी की चिंता होने लगी है। यह है हमारी मिडिल क्लास के माता-पिता की सबसे बड़ी समस्या उनको लगता है कि बेटी की शादी जितनी जल्दी हो जाए उतना ही अच्छा होता है पर वह यह नहीं सोच पाते कि उस बच्ची का क्या होगा, जिसने अभी ढंग से पढ़ाई नहीं करी वह अपने अधिकारों के बारे में भी नहीं जानती है। उसको शादी तो करनी होगी क्योंकि यह समाज की रीत है।
आज बेटी का ब्याह जितना हो सके जल्दी कर देना चाहिए। उसकी शादी उसके बिना मर्जी के कर दी जाएगी। उस्से उसकी मर्जी नहीं पूछी जाएगी ? क्योंकि वह एक मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की है। अब उसकी शादी हो चुकी है और कम उम्र में शादी होने की वजह से उसे बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उसकी शिक्षा अभी पूरी नहीं हुई। उसे नहीं पता कि इस समाज में उसके क्या क्या अधिकार है। वह उन अधिकारों से हमेशा ही वंचित रहेगी। यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा जब तक की लड़कियों को पूर्ण रूप से शिक्षित नहीं होने दिया जाएगा।
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