जो किसान के साथ नहीं!
मंजुल भारद्वाज
जो किसान के साथ नहीं
उसे देश का ज्ञान नहीं
जो किसान के साथ नहीं
उसे न्याय का भान नहीं
जो किसान के साथ नहीं
उसे मिटटी से लगाव नहीं
जो किसान के साथ नहीं
उसे लोकतंत्र का मान नहीं
जो किसान के साथ नहीं
उसे अधिकारों का पता नहीं
जो किसान के साथ नहीं
उसे आत्मसम्मान से प्यार नहीं
जो किसान के साथ नहीं
उसे स्वावलम्बन स्वीकार नहीं !
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