राज्य की जनता 2022 के इंतजार में -सपा
भाजपा सरकार अधिकारियों की शंटिग करती रहती है?
लखनऊ। जब कुछ करना नहीं तो भाजपा को अधिकारी-अधिकारी खेलना ही भाता है। एक अधिकारी दिल्ली से लखनऊ भेजे गए उन्हे काम नहीं करने दिया गया। पं0 बंगाल में काम कर रहे अधिकारी को काम करने नहीं दिया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में चुनी हुई सरकार के साथ चुनाव में करारी हार का बदला भाजपा निचले स्तर पर आकर ले रही है यह संघीय ढांचे की मूल भावना की अवहेलना और लोकतंत्र के विरूद्ध भाजपा की साजिश की रणनीति है। निहित स्वार्थवश भारी बहुमत में आई ममता सरकार को परेशान किया जा रहा है। एक छोटे मुद्दे को बेवजह प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर भाजपा ने अपनी किरकिरी कराई है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार का डबल इंजन 8 वर्षो से यार्ड में ही खड़ा है। राज्य सरकार के 4 वर्ष और इसी अवधि में केंद्र के 4 वर्षो में डबल इंजन टस से मस नहीं हुआ। विकास योजनाएं प्लेटफार्म पर इंतजार में हैं। कोई पूछने वाला नहीं। भाजपा सरकार अधिकारियों की शंटिग करती रहती है।
उन्होंने कोरोना को भी प्रदेश में मॉडलिंग मंच बना दिया है। भाजपा बदले की भावना से प्रेरित होकर राज्यों के साथ जो व्यवहार कर रही है उसमें राज्यपालों की भूमिका विचारणीय है। कायदे से उत्तर प्रदेश हो या पश्चिम बंगाल राज्यपालों की भूमिका संविधान की परिधि में ही होनी चाहिए पर ऐसा भाजपा राज में नहीं होता है। दोनो की कसौटियां भिन्न है। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल महोदय अनावश्यक हस्तक्षेप करते रहते है जबकि उत्तर प्रदेश में राज्यपाल की सिर्फ सलाहकार की भूमिका है। यह अलग बात है कि चाहे कानून व्यवस्था की बदहाली हो या स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा अथवा कोरोना-फंगस से निपटने में परले दर्जे की लापरवाही यहां राज्यपाल जी या तो स्वतः अनभिज्ञ रहती हैं या फिर राज्य सरकार उनकी सलाहों को अहमियत नहीं देती है। जनता भाजपा की इन चालबाजियों से तंग आ गई है।
उत्तर प्रदेश में तो भाजपा को कुछ करना नहीं है। यहां तो सत्ता का लालच भाजपा के सिर चढ़कर बोलने लगा है। बचे हुए समय में यहां भाजपा सरकार अधिकारियों की सेटिंग में ही समय खपा रही है। कोरोना महामारी में चारों और हाहाकार के बीच प्रधानमंत्री जी वाराणसी मॉडल और मुख्यमंत्री जी गोरखपुर माडल की चर्चा में ही लगे रहे।
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