सूखे फूलों का निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान

किसानों की आय बढ़ाने में सहायक फूलों की खेती

जितेंद्र मौर्य 

आजमगढ़। प्रदेश में खुले फूलों की खेती करने लिए गुलाब, गुलदाउदी, क्रोसेन्ड्रा, गेंदा, चमेली, रजनीगंधा, मोलिया, गैलारडिया, गोम्फरेना, कमल, कनेर तथा चाईना ऐस्टर आदि की खेती खुले वातावरण में की जाती हैं इन पुष्पों के उत्पादन में भारत का दर्जा विश्व में द्वितीय स्थान पर है। उ0प्र0 सहित देश में लगभग 0.81 मिलियन टन फूलों का वार्षिक उत्पादन हो रहा है। उत्तर प्रदेश में खुले फूलों की खेती की जाती है। जिसके अन्तर्गत किसानों को उद्यान विभाग द्वारा आवश्यक सहायता दी जाती है।  

कर्तित फूलों की खेती में मुख्यतः गुलाब, कारनेशन, गुलदाउदी, ग्लैडियोलस, लिलियम, जरबेरा, आर्किड, एन्थरिंयम, एलस्ट्रोरिया, टयूलिप इत्यादि की खेती खुले खेत एवं नियंत्रित वातावरण में की जाती है। उच्च श्रेणी के कर्तित फूलों कों मुख्यतः निर्यात किया जाता है, जबकि इससे निम्न श्रेणी की गुणवत्ता वाले फूूलों को घरेलू बाजार में बेचा जाता हैं कर्तित फूलों का उत्पादन प्रदेश में काफी हो रहा है। कर्तित फूलों के उत्पादन में सबसे महत्वपूर्ण योगदान कर्नाटक व उत्तर प्रदेश का है। फूलों के क्रय-विक्रय के लिए सुव्यवस्थित नीलामी घर भी उपलब्ध है तथा कई नये नीलामी घर प्रस्तावित पंक्ति में है।

फूलों का प्रतिवर्ष निर्यात भारतवर्ष से लगभग 20703 मैट्रिक टन है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 500 करोड़ रूपये है। यूरोप, जापान, आस्ट्रेलिया, मध्यपूर्वी देशों में निर्यात किया जाता हैं। सूखे फूल अमेरिका, यूरोप, श्रीलंका, आस्टेलिया, रूस एवं खाड़ी देशों में सुखे फूल एवं गमले वाले पौधों का निर्यात किया जा रहा है। इन सभी फूलों में से सूखे फूलों का निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान है। फूलों से विभिन्न मूल्यवर्धित उत्पाद जैसे माला लड़ी, वेणी, गजरा, पुष्प-विन्यास, पंखुड़ी, गुलकन्द, गुलाब का अर्क, इत्र, पॉटपुरी ग्रीटिंग कार्ड, पेपर वेट, बुके आदि तैयार करते हुए विक्रय कर प्रदेश के किसान अपनी आय में वृद्धि कर रहे है।

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