चितरंगी के पशु चिकित्सक कई दिनों से नदारत
काल के गाल में समा रहे मवेशी, नहीं हो रहा टीकाकरण
पारसनाथ प्रजापति
सिंगरौली। टीकाकरण के अभाव में बीमार मवेशी अनायास काल के गाल में समा जा रहे हैं। पशु चिकित्सक के नदारत रहने एवं अस्पताल में हमेशा ताला लटका रहने से बीमार मवेशियों का ईलाज नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते पशुपालकों में चिकित्सक के खिलाफ भारी असंतोष फैलने लगा है। यह मामला तहसील मुख्यालय चितरंगी के पशु चिकित्सालय का हाल है।
पालकों में बढ़ रहा असंतोष, चिकित्सक को हटाने की उठी मांग..
दरअसल पशु चिकित्सालय चितरंगी भगवान भरोसे चल रहा है यहां पदस्थ चिकित्सक की मनमानी कार्यप्रणाली पशुपालकों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। आलम यह है कि पदस्थ पशु चिकित्सक अक्सर मुख्यालय से नदारत रहता है यहां के पशु पालकों ने आरोप लगाया है कि चिकित्सक अपने पेशे से हटकर राजनीति में ज्यादा रूचि ले रहे हैं और वे इन दिनों राजनीति पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित किया है। कौन अधिकारी रहेगा किस अधिकारी, कर्मचारी को भोपाल से स्थानांतरण मनचाहे जगह में कराना है।
संक्रमित हो रहे मवेशी
इस बात को लेकर पशु चिकित्सा महकमा में खूब चर्चाएं हो रही हैं। बल्कि टीकाकरण के अभाव में काल के गाल में समा रहे मवेशियों का ईलाज करने से भागते नजर आ रहे हैं। आरोप यहां तक हैं कि पशु चिकित्सालय में हमेशा ताला लटका रहता है। यहां के कर्मचारी केन्द्र के बाहर पेंड़ के नीचे अपनी ड्यूटी कर समय बिताते हैं। कर्मचारियों के द्वारा बताया जा रहा है कि पशु चिकित्सा अधिकारी ताला बंदकर चाभी अपने पास रखते हुए नदारत हैं। जिसके चलते बीमार मवेशियों का ईलाज नहीं हो पा रहा है। पशु पालकों ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए लचर व्यवस्था को कोसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
राजीव रंजन मीना, कलेक्टर, सिंगरौली के मुताबिक वर्षा जलजनित सीजन में चटका, गलाघोंटू, आंख से आंसू निकलना, आंखों में सफेद धब्बा दिखना जैसे रोग मवेशियों में तेजी से फैल रही हैं। जून महीने से ही मवेशियों में टीकाकरण किये जाने के निर्देश दिये गये हैं, लेकिन लापरवाह पशु चिकित्सा अमले के चलते मवेशियों का टीकाकरण नहीं किया जा रहा है। जबकि 4 लाख मवेशियों को टीकाकरण करने का लक्ष्य भी रखा गया है।
सवाल उठ रहा है कि जब जिला प्रशासन के द्वारा मवेशियों के टीकाकरण के लिए निर्देश व दवाईयां मुहैया करायी गयी हैं तो टीकाकरण करने से गुरेज क्यों किया जा रहा है। साथ ही जो पशु चिकित्सा अमला मौजूद है वह दवाईयों का भी शुल्क वसूलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। इनका कहना है पशु चिकित्सालय में यदि ताला लटका रहता है और मवेशियों का ईलाज नहीं हो रहा है तो इसकी जानकारी तत्काल ली जायेगी।
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