इस गरजते कर्ज की अवा'कुछ हो (कमी)

 दवा कुछ हो..

- सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"

इस बिगड़ते मर्ज की दवा कुछ हो
मुश्किलों में घिरा  शख़्स क्या करे
एक इति हो नहीं तो सवा कुछ हो
सूखते जा रहे जाने ये दरख़्त क्यों
जो दे रूह-साँस ऐसी हवा कुछ हो
जोकि जला लूँ मैं भी हालात अपने
हुनर-हौसलों से बना तवा  कुछ हो
"उड़ता"कोशिशों का गवा कुछ हो
जैसे चाँद को निहारता लवा' कुछ हो

टिप्पणियाँ

वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर खोला अवैध गौशाला

विभाज्यता का महासूत्र

वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर खोला अवैध गौशाला

बरकछ में फर्जी गौशाला व गायों की हत्या की सख्त जांच कराई जाए -पत्रकार संघ

ए मां तेरी सूरत से अलग भगवान की सूरत क्या होगी!

लेहड़ीया बंधा से मिला 3 बच्चों का शव

चौकी इंचार्ज बरवर की दिखी फिर एक बार सराहनीय पहल۔۔

ऊर्जा संरक्षण पर पोस्टर क्विज स्लोगन प्रतियोगिता का किया आयोजन

6 भत्तों को अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक स्थगित का निर्णय मज़दूर विरोधी -सुहेल आबिद