खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या बढ़ी -एनसीआरबी

मोदी के शासनकाल में किसानों के साथ-साथ अब खेतिहर मजदूरों की दुर्दशा

अभिषेक शुभम 

नई दिल्ली। नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट से पता चलता है कि  खेतिहर मजदूरों में आत्महत्या की संख्या 2019 में 4,324 से बढ़कर 2020 में 5,098 हो गई है - 18% की वृद्धि। हालांकि, किसानों के बीच आत्महत्या की संख्या 2019 में 5,957 से घटकर 2020 में 5,579 हो गई है - 6% की गिरावट।

जबकि अधिकांश अन्य उद्योग – ऑटोमोटिव, टेक्सटाइल, रियल एस्टेट – कोविद महामारी के दौरान प्रभावित हुए थे, कृषि उद्योग ने पूरी तरह से कार्य किया और अर्थव्यवस्था में अपना समर्थन दिया। इसके बावजूद, सब्जी किसानों की दुर्दशा को उजागर करने वाली खबरें रोज़ सामने आती है, जो मांग कम होने के कारण अपनी उपज को औने-पौने दामों पर बेच रहे है या तो सडकों पर फेंक रहे थे।

  • जहां 2020 में खेतिहर मजदूरों में आत्महत्या के मामलों में 18% की बढ़ोतरी हुई है.. वहीं किसानों में इस तरह की मौतों में 6% की कमी आई है..
  • महाराष्ट्र में कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक आत्महत्या की सूचना मिली है..

28 अक्टूबर को जारी 'एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड इन इंडिया - 2020' शीर्षक से एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक साल में खेतिहर मजदूरों की आत्महत्या की संख्या में वृद्धि हुई है।

एनसीआरबी की रिपोर्ट ने 2020 के दौरान खेती क्षेत्र में शामिल कुल 10,677 व्यक्तियों - 5,579 किसानों और 5,098  खेतिहर  मजदूरों के आत्महत्या के मामलों का  डॉक्यूमेंट बना कर रिपोर्ट पेश किया गया। यह पिछले साल देश में कुल आत्महत्या के मामलों (153,052) का 7% था।

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कुल 5,579 किसान आत्महत्याओं में से 95.6% पुरुष और 4.4%महिलाएं थीं। जबकि 2020 के दौरान खेतिहर मजदूरों में हुई कुल 5,098 आत्महत्याओं में 90.6% पुरुष और 9.3%महिलाएं थीं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि एनसीआरबी की रिपोर्ट में कृषि समुदाय के बीच आत्महत्या के विशिष्ट कारणों का कोई संकेत शामिल नहीं है।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कृषि आत्महत्या की सूचना

कृषि क्षेत्र में दर्ज की गई आत्महत्याओं में से, एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि महाराष्ट्र में आत्महत्या की अधिकतर घटनाएं 37.5% दर्ज की गई हैं। इसके बाद कर्नाटक (18.9%), आंध्र प्रदेश (8.3%), मध्य प्रदेश (6.9%) और छत्तीसगढ़ (5%) का स्थान रहा।

इस बीच, ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश थे जिन्होंने देश में कृषि समुदाय के बीच आत्महत्या के किसी भी मामले की सूचना नहीं दी है। इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तराखंड, चंडीगढ़, दिल्ली, लद्दाख, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल हैं।

2020 में कुल आत्महत्याओं में 10% की वृद्धि

एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 के दौरान देश में कुल 153,052 आत्महत्याएं हुईं। यह 2019 की तुलना में 10% की वृद्धि है। आत्महत्या की दर में भी 2019 की तुलना में 2020 के दौरान 8.7% की वृद्धि हुई है। आत्महत्या की दर प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर आत्महत्या की घटना है। 

महामारी वर्ष 2020 में दर्ज की गई सभी आत्महत्याओं में दैनिक वेतन भोगियों ने अधिकतम 24.6%का योगदान दिया है। 2020 में आत्महत्या से मरने वाले कुल 153,052 लोगों में से 37,666 दैनिक वेतन भोगी थे।

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