सरकार कर्मचारियों की कमाई का करोड़ों रुपये क्यों खर्च कर रही?

 सैकड़ों कर्मचारी परिवार भुखमरी से जूझ रहे -शशि कुमार मिश्र

निकायों की खराब और आर्थिक स्थिति कैसे सुदृढ़ की जाए?

विशेष संवाददाता 

लखनऊ। संस्थाओं की खराब आर्थिक स्थिति, सेवा सम्बन्धी समस्यायें तथा समय से वेतन, भत्ते, पेंशन, सेवानिवृत्त के बाद अवशेष बकाया आदि बहुत सी समस्याओं का समाधान समयबद्ध न किये जाने को दरकिनार कर प्रदेश सरकार द्वारा विकास दीपोत्सव आदि आयोजनों से प्रदेश की निकायों को उठाना पड़ेगा आर्थिक संकट तथा इन आयोजनों में दिन-रात व अवकाश के दिनों में कार्य करने वाले कर्मचारियों अधिकारियों, का बढ़ रहा मानसिक तनाव पर महासंघ के जताया खेद।

महासंघ द्वारा प्रेस मीडिया के माध्यम से प्रदेश के निकायों की खराब आर्थिक स्थिति, सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को समय से वेतन, भत्ते व पेंशन तथा उनके सेवा सम्बन्धी प्रकरणों का समय से समाधान नहीं किया जा रहा है। वहीं प्रदेश की निकायों में दीपावली पर्व के मध्य विकास दीपोत्सव सहित गत दिनों किये जा रहे इस तरह के आयोजनों से जहां निकायों को अतिरिक्त आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है, जिसके कारण वर्षों से सेवारत एवं सेवानिवृत्त तथा आउटसोर्सिंग आदि पर कार्यरत कर्मचारियों का अवशेष भुगतान समय से वेतन, भत्ते, बोनस, फन्ड, डीए, पेंशन आदि नहीं मिल पा रहा है। 

इन्हीं  सब  समस्याओं के समाधान हेतु महासंघ द्वारा गत दिनों प्रदेश स्तरीय आन्दोलन किये जाने की प्रदेश सरकार/शासन को नोटिस प्रेषित कर 27 नवम्बर को प्रदेश के सभी मुख्यालय पर जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन व 9 दिसंबर से अनिश्चितकालीन कार्यबन्दी किए जाने का निर्णय लिया गया है

प्रदेश में लाखों कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु अनुरोध किया गया था, परन्तु खेद है कि अभी तक प्रदेश सरकार/शासन द्वारा कोई सकारात्मक कार्यवाही/निर्णय नहीं लिया जा सका। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा इस तरह के आयोजनों से कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई का करोड़ों रुपये निरर्थक खर्च कर रही है, जो न ही कर्मचारी व संस्था के हित में है। महासंघ ने यह भी कहा है कि निकायों को स्वावलम्बी बनाने हेतु किये जा रहे प्रयास निरर्थक साबित हो रहे हैं। वहीं शहरी निकायों के वेण्डर्स आदि के नाम पर महंगे-महंगे आयोजन, नाज-गाना आमंत्रण पत्र, आदि की व्यवस्था पर खर्च किया जाना न्यायोचित नहीं है। यदि यही पैसा कर्मचारियों को उनकी देरदारी पर खर्च किया जाय तो सैकड़ों कर्मचारी परिवार जो भुखमरी से जूझ रहे हैं, उनका जीवन-यापन सुगम हो सकता है। 

प्रदेश की राजधानी लखनऊ नगर निगम पर कर्मचारियों का बकाया (लगभग) एक नज़र अर्जित अवकाश की धनराशि रु0 124 लाख, पेंशन, ग्रेच्युटी रु0 1400 लाख, महंगाई भत्ता एवं बोनस रु0 2000 लाख, 7वें वेतन आयोग का अन्तर रु0 140 लाख, 7वें वेतन आयोग का अन्तर पी0एफ0 खाते में रु0 500 लाख, कार्यरत कर्मचारियों का 7वें वेतन आयोग का नकद भुगतान रु0 400 लाख, भविष्य निधि लगभग 6 माह रु0 750 लाख, चिकित्सा प्रतिपूर्ति रु0 40 लाख, कर्मचारी कल्याण कोष रु0 20 लाख, कोआपरेटिव सोसाइटी रु0 160 लाख कुल देय जो लगभग 60 से 70 करोड़ है।

इसी तरह प्रदेश की अन्य निकायों की स्थिति विचारणीय है महासंघ इस तरह के आयोजन का स्वागत जरूर करता है, परन्तु यह भी देखने की जरूरत है कि निकायों की खराब आर्थिक स्थिति और कैसे सुदृढ़ की जा सके तथा  निकायों के कार्यरत कर्मचारियोंअधिकारियों की मानसिक स्थिति पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े एवं कर्मचारियों की सभी आवश्यक समस्याओं का समाधान ससमय सुनिश्चित हो सके। 

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