बगावती स्वर से राजनीतिक पारा चढ़ने लगा

  • सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर बगावती तेवरों से मुश्किलें बढ़ीं..
  • फिलहाल जीत के प्रति सभी प्रत्याशी आश्वस्त..

मुरारी श्रीवास्तव

पीलीभीत। भाजपा हाई कमान की  विधानसभा के चुनाव के लिए  सूची जारी होते ही टिकट की लाइन में लगे कई दाबेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया और इसके साथ ही गली कूंचों में विरोधी स्वर फूटने लगे। टिकट कट जाने से नाराज कई  दावेदारो का तो मन इतना कुंठित हो गया कि उन्होंने न कि भाजपा से  किनारा करने का मन बना लिया है  बल्कि तमाम आरोपों की झड़ी लगाते हुए चुनाव लड़ने तक की  चेतावनी दे डाली है।

सत्तारूढ़ भाजपा के भीतर बगावती स्वर फूटने से  राजनीतिक पारा चढ़ने लगा है जिससे  इस सिहरन भरी ठंड होने के बाद भी  जीत का माहौल तैयार करने में लगे प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे है। लेकिन यह भी सत्य है कि सभी अपनी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखाई पड़ रहे हैं। विदित हो कि भाजपा हाई कमान द्वारा जारी सूची में  पीलीभीत से संजय गंगवार , बीसलपुर से  विवेक वर्मा ,बरखेड़ा से  मौजूदा विधायक किशनलाल राजपूत की जगह पर स्वामी प्रवक्तानंद  तथा पूरनपुर विधानसभा से बाबूराम पासवान पर भरोसा जताया है। 

बरखेड़ा से बिधायक किशन लाल राजपूत का टिकट कटने के बाद वह अभी तक अपने कार्यकर्ताओं के साथ  मंथन कर रणनीति तैयार करने में लगे हैं बहीं पूरनपुर विधानसभा से भारी भरोसे के बाद भी टिकट न देने से आक्रोशित अशोक राजा व दीप्ती वर्मा ने भाजपा से स्तीफा दे दिया है बहीं टिकट कट जाने से छुब्ध बीसलपुर के डॉक्टर रतनेश गगवार ने भाजपा विधायक रामसरन वर्मा पर कई आरोप लगाते हुए चुनाव लड़ने की घोषणा की है। कुल मिलाकर सबसे ज्यादा विरोध पूरनपुर बिधान सभा मे देखने को मिल रहा है ।बताते है कि थाना सेहराम्यु छेत्र के कई गांवों में कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रकट भी किया गया , बहीं टिकट की  दाबेदारी ठोंकने बाले अशोक राजा के समर्थकों में राजा के चुनाव लड़ने की चर्चा  से राजनीतिक पारा और भी चढ़ने लगा है।

यहाँ दबी जुबान से विरोध करने बालों की संख्या भी कम नही बताई जाती है ।लेकिन विरोध की सुगबुगाहत से बेपरवाह विधायक बाबूराम पासवान के जोश को देखते हुए यैसा प्रतीत होता है कि वह जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं। 

वर्ष 2017 में  विधान सभा की चारो सीटों क्रमशः  पूरनपुर, पीलीभीत, बरखेड़ा व बीसलपुर में भाजपा का परचम लहराया था। उस समय विजयी हुए विधायकों में विकास और सेवा के प्रति बहुत जोश दिखाई दिया था  लेकिन धीरे धीरे वह जोश और जुनून पता नही कहां चला गया। परिणामस्वरूप बिधान सभाओं की आम जनता के छोटे छोटे काम भी होने बंद हो गये। जनता के रोष से ही लगने लगा कि इस बार करनी कथनी का झूठा ढ़िढोरा पीटने बाले विधायको का टिकट जरूर कट जायेगा। 

संगठन की ओर से भी कई विधायकों के टिकट कटने की चर्चायें भी प्रबल थीं। इसके लिए भाजपा संगठन के द्वारा जनपद पीलीभीत के चारों विधायकों की करनी कथनी और स्थिति का सर्वे भी कराया गया ।रिपोर्टिंग भी हुई। लेकिन  परिणाम चर्चाओं के अनुरूप न होने के कारण दावेदारों के आक्रोश का लावा सड़कों पर बहने लगा। अगर समय रहते विरोध करने बाले भाजपा परिवार के दावेदारों को मनाकर लाया नही गया तो मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं।

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